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मंगलवार, 28 जनवरी 2020

Saraswati Puja Vidhi Mantra

सरस्वती पूजा विधि मंत्र जिनसे माता को कर सकते हैं प्रसन्न


कुंदेंदु तुषार हार धवला या शुभ्र वस्त्रव्रिता। वीणा वरा दंडमंडित करा या श्वेत पद्मासना ।।
या ब्रह्मच्युत शंकरा प्रभुतिभी देवी सदा वन्दिता। सामा पातु सरस्वती भगवती निशेश्य जाड्या पहा।।


माघ शुक्ल पंचमी तिथि को शास्त्रों में बसंत पंचमी कहा गया है। इसे श्रीपंचमी और सरस्वती पाकट्य दिवस भी कहा जाता है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। इन मंत्रों और विध से देवी की पूजा करना अत्यंत शुभ फलदायी होगा।
मां सरस्वती की पूजा करने से आपको बुद्धि, ज्ञान, संगीत और कला में निपुणता का आशीर्वाद प्राप्त होगा। सरस्वती पूजा में सरस्वती वंदना जरूर करनी चाहिए। आइए जानते हैं कि वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा कैसे करनी चाहिए?

सरस्वती पूजा की विधि

वसंत पंचमी के दिन प्रात:काल स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद पूजा स्थल पर मां सरस्वती की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें। फिर गणेश जी और नवग्रह की पूजा करें। इसके बाद मां सरस्वती की पूजा करेंगे। सबसे पहले उनका गंगा जल से स्नान कराएं, फिर उनको सफेद और पीले फूल तथा माला अर्पित करें। देवी को पीले रंग के फल चढ़ाएं और उनके चरणों में गुलाल अर्पित करें। उनको सिंदूर और श्रृंगार की वस्तुएं भी चढ़ाएं। फिर धूप, दीप और गंध से उनको सुशोभित करें।

मां सरस्वती सफेद वस्त्र पहनती हैं, इसलिए उनको श्वेत वस्त्र अर्पित करें या पहनाएं। माता को सफेद रंग की मिठाई, खीर या मालपुए का भोग लगाएं। प्रसाद में पीले या केसरिया रंग के फलोंं और मिठाइयों को ग्रहण करें, इससे विशेष कृपा प्राप्त होगी।


इस मंत्र से प्रसन्न होंगी मां सरस्वती

''एमम्बितमें नदीतमे देवीतमे सरस्वति! अप्रशस्ता इव स्मसि प्रशस्तिमम्ब नस्कृधि! ''
अर्थात -
मातृगणो में श्रेष्ठ, देवियों में श्रेष्ठ हे ! मां सरस्वती हमें प्रशस्ति यानी ज्ञान, धन व संपति प्रदान करें।

यदि पूर्व में दिए मंत्र को पढ़ने में परेशानी हो तो इस सरल मंत्र को पढ़कर मां सरस्वती को प्रसन्न कर ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त करें।

सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि ।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥

भगवती सरस्वती की पूजन प्रक्रिया में सर्वप्रथम आचमन, प्राणयामादि के द्वारा अपनी शुचिता संपन्न करें।
फिर सरस्वती पूजन का संकल्प ग्रहण करें । इसमें देशकाल आदि का संकीर्तन करते हुए अंत में 'यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः भगवत्याः सरस्वत्याः पूजनमहं करिष्ये।' पढ़कर संकल्प जल छोड़ दें।

तत्पश्चात आदि पूजा करके कलश स्थापित कर उसमें देवी सरस्वती साद आह्वान करके वैदिक या पौराणिक मंत्रों का उच्चारण करते हुए उपचार सामग्रियां भगवती को सादर समर्पित करें।

मां सरस्वती का अष्टाक्षर मंत्र

'श्री ह्यीं सरस्वत्यै स्वाहा'

इस अष्टाक्षर मंत्र से प्रत्येक वस्तु क्रमशः श्रीसरस्वती को समर्पण करे। अंत में देवी सरस्वती की आरती करके उनकी स्तुति करें। भगवती को निवेदित गंध पुष्प मिष्ठान्न का प्रसाद ग्रहण करना चाहिए। पुस्तक और लेखनी में देवी सरस्वती का निवास स्थान माना जाता है अत: उनकी पूजा करें।

देवी भागवत एवं ब्रह्मवैवर्तपुराण में वर्णित आख्यान में पूर्वकाल में श्रीमन्नरायण भगवान ने वाल्मीकि को सरस्वती का मंत्र बतलाया था। जिसके जप से उनमें कवित्व शक्ति उत्पन्न हुई थी।

सरस्वती वंदना

मां सरस्वती की पूजा करने के समय सरस्वती वंदना का स्मरण अवश्य करना चाहिए।
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता,
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं,
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌।
हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌,
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥

हवन

पूजा करने के बाद हवन करें। सबसे पहले गणेश जी और नवग्रह के नाम से हवन करें। इसके पश्चात 'ओम श्री सरस्वत्यै नम: स्वहा" मंत्र से 108 बार माता सरस्वती के लिए हवन करें। फिर सरस्वती माता की आरती करें और उन्हें अपनी मनोकामना से अवगत कराएं।

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