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गुरुवार, 15 फ़रवरी 2018

श्रवणबेलगोलाः भगवान का महामस्तकाभिषेक

भगवान बाहुबली महामस्तकाभिषेक महामहोत्सव

विश्व प्रसिद्ध भगवान बाहुबली महामस्तकाभिषेक दिनांक 17 से 25 फरवरी 2018 तक आयोजित होने वाले महामहोत्सव में अपने परिवार व इष्ट मित्रों सहित शामिल होकर धर्म लाभ लें - राजेश मिश्रा, कोलकाता 
ऐसे मौके बार-बार नहीं आते। 12 साल गुजरने के बाद आप महामस्तकाभिषेक के साक्षी बनते हैं। वर्ष 2018 का फरवरी महीना इसी का गवाह बना है। कर्नाटक राज्य का हासन जिला और उसका एक छोटा सा गांव श्रवणबेलगोला 17 फरवरी से लाखों जैन भक्तों की मेजबानी करेगा। वहीं महामस्तकाभिषेक के दौरान लोगों के रहने के लिए 12 नगरों और 17 महाभोजनालय का काम लगभग पूरा हो चुका है। 

जर्मन तकनीक पर आधारित मंच से लाखों लोग महामस्तकाभिषेक करेंगे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 7 फरवरी को इस कार्यक्रम की शुरुआत की। इसी के साथ पंचकल्याणक महोत्सव भी शुरू हो गया। महामस्तकाभिषेक में मुंबई से बड़ी संख्या में भक्त पहुंचेंगे। 17 फरवरी 2018 को दिन के 2 बजे से महामस्तकाभिषेक का शुभारंभ होगा और यह 26 फरवरी तक चलेगा। हालांकि उत्सव का आयोजन 7 फरवरी से शुरू हो चुका है। 

इस महाआयोजन में भाग लेने आए जैन गुरु आचार्य वर्धमान सागरजी कहते हैं, 'भगवान बाहुबली का संदेश आज के अशांत युग में शांति का पैगाम देते हैं। ऐसे में इस आयोजन के द्वारा उनकी कहीं बातें लाखों-करोड़ों लोगों तक पहुंचेंगी। ऐसा नहीं है कि भगवान बाहुबली की कही बातें केवल जैन धर्मावलंबी के लिए ही उपयोगी हैं, सच तो यह है कि अगर उनके बताए रास्ते पर लोग चलें तो हर तरफ शांति ही शांति होगी।' 

कौन हैं भगवान बाहुबली 

जैन धर्म के पहले तीर्थंकर ऋषभदेव के सौ पुत्रों में दो पुत्र थे: भरत और बाहुबली। अपने बड़े भाई भरत को पराजित कर राजसत्ता का उपभोग बाहुबली कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और सारा राजपाठ छोड़कर वे तपस्या करने लगे। भगवान बाहुबली ने इंसान के आध्यात्मिक उत्थान और मानसिक शांति के लिए चार बातें बताई थीं: अहिंसा से सुख, त्याग से शांति, मैत्री से प्रगति और ध्यान से सिद्धि की प्राप्ती होती है। 

बाहुबली की प्रतिमा है खास 

भगवान बाहुबली की बड़ी प्रतिमा वह भी पहाड़ को काटकर कहीं दूसरी जगह नहीं मिलेगी। इसका निर्माण कार्य 981 ई. में पूरा हुआ था। उस समय कर्नाटक में गंग वंश का शासन था। सेनापति चामुंडराय ने निर्माण कराया था। 

जैन धर्मावलंबियों के लिए है काशी 

श्रवणबेलगोला का जैन धर्मावालंबियों में वही महत्व है जो हिन्दू धर्म को मानने वालों के लिए काशी का है। 
यह तो हम सभी को पता है कि महामस्तकाभिषेक का आयोजन हर 12 साल पर होता है। इसलिए अगर आपकी इच्छा महामस्तकाभिषेक के आयोजन में शामिल होने की है तो आप जरूर श्रवणबेलगोला पहुंचे। 

एक नजर में इस महाआयोजन से जुड़ी अहम जानकारियांः 

  • 7 फरवरी को देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने श्रवणबेलगोला में महामस्तकाभिषेक महोत्सव का उद्घाटन किया। इसी के साथ पंचकल्याणक महोत्सव भी शुरू हो चुका है। 
  • 500 करोड़ रुपये खर्च होंगे इस भव्य महाआयोजन पर 
  • 10 करोड़ रुपये से भी ज्यादा खर्च हुए महामस्तकाभिषेक के लिए जर्मन तकनीक से मंच तैयार करने में 
  • 5 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं मुआवजे के रूप में किसानों को 
  • 400 एकड़ जमीन पर तैयारी की गई है महामस्तकाभिषेक आयोजन की 
  • 12 नगर बसाए गए लोगों, भक्तों और साधकों के लिए 
  • 20 हजार से ज्यादा लोगों के लिए हर दिन ठहरने का प्रबंध कर रही है श्रवणबेलगोला कमिटी 
  • 50 लाख से भी ज्यादा लोग इस महामस्तकाभिषेक में लेंगे हिस्सा 
  • 7000 से भी ज्यादा पुलिस कर्मियों की तैनाती महाआयोजन के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के लिए करेगी राज्य सरकार

सौभाग्य आपको बुला रहा हैअहम तारीखें 

  • 7 फरवरी उत्सव की हुई शुरुआत 
  • 7-16 फरवरी पंचकल्याणक महोत्सव का आयोजन 
  • 17 फरवरी महामस्तकाभिषेक की शुरुआत 
  • 26 फरवरी समापन समारोह का कार्यक्रम 
  • 31 अगस्त या फिर मानसून की वजह से रास्ता बंद होने तक हर रविवार को किया जा सकेगा महामस्तकाभिषेक 

कहां पर है श्रवणबेलगोला 
कर्नाटक राज्य के हासन जिले में श्रवणबेलगोला स्थित है। बेंगलुरु शहर से लगभग 150 किमी दूर है। वहीं मैसूर से यह 80 किमी की दूरी पर है। 

कैसे पहुंचें 

  • विमान सेवा: मुंबई से बेंगलुरु के लिए लगभग डेढ़ घंटे की सीधी विमान की सेवा है। बेंगलुरु एयरपोर्ट उतरने के बाद वहां से टैक्सी, बस, ट्रेन सभी उपलब्ध हैं। एयरपोर्ट से 3 घंटे में आप श्रवणबेलगोला पहुंच जाएंगे। 
  • रेल मार्ग: मुंबई से कई ट्रेनें बेंगलुरु के लिए जाती हैं और बेंगलुरु से श्रवणबेलगोला के लिए भी ट्रेन की सुविधा उपलब्ध है। 
  • सड़क मार्ग: वैसे तो, मुंबई से श्रवणबेलगोला सड़क मार्ग से भी जा सकते हैं, लेकिन यह काफी लंबा सफर होगा। इस दौरान आप 974 किमी से भी ज्यादा दूरी तय करनी होगी। ऐसे में विमान और ट्रेन से बेंगलुरु पहुंचकर सड़क मार्ग एक विकल्प हो सकता है।

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